Thursday 30 July 2015

power of Silence

लफ़्ज़ों को थोड़ा आराम दें

Dialog 
लफ्ज़  हमारे एहसासों को माला में पिरोते हैं और बातें अपने आप बनती  जाती हैं.…लेकिन कभी-कभी ख़ामोशी एक अजीब सा सुकून लेकर आती है जिसे शायद हम शब्दों में नहीं बांध सकते……जानती हूँ ख़ामोश (silence) जिंदगी की कल्पना करना अपने आप में ही कितना मुश्किल है.…… पर ज़रा सोच कर देखिये जब बातों के बाज़ार गर्म हों, लफ़्ज़ों की भीड़-भाड़ लगी हो तो कुछ पलों  की ख़ामोशी गर्मी में एक ठंडी हवा के झोंके की तरह सुकून, ठंडक  और शांति लेकर आती है। 

ज़िन्दगी में हर चीज़ की अपनी ही महत्वता है, कहीं तो कुछ  लफ्ज़ गलतफहमियों की नदी में उलझी ज़िन्दगी को किनारे पर ले आती है तो कहीं ग़लत समय कहे गए लफ़्ज़ ज़िन्दगी को नाउम्मीदियों के समुद्र में डुबो देते हैं।  इसी तरीके से ही खामोशी के भी ज़िन्दगी में उतने ही मायने हैं…… कहीं ख़ामोशी ज़हर का काम करती है तो कहीं ख़ामोशी लफ़्ज़ों से भी ज़्यादा असरदार साबित होती है। 

आइये जानते हैं कहाँ बातों  को नहीं ख़ामोशी (silence)को मौका देने की ज़रूरत है :


1. मन की शांति के लिए 

गुस्सा एक ऐसी भावना है जिसमें इंसान अपने सोचने समझने की शक्ति से हाथ धो बैठता है.…बिना कुछ सोचे-समझे, बिना अपने लफ़्ज़ों के मायने जाने, बिना हालातों को पुरी तरह समझे हम कुछ भी उलटा-सीधा बोल देते हैं और जब गुस्सा शांत होता है, अपने कहे  शब्दों के मायने समझ आते हैं तब पछतावे की आग में जलतें हैं।  इसलिए जब गुस्सा आए तो कुछ देर के लिए लफ़्ज़ों की जंग से बाहर निकल कर ख़ामोशी का लिबास औढ़ लीजिए।कुछ देर शांत रहने के बाद आपका चित्त भी शांत हो जायेगा और आप सोच-समझ   कर कोई फैंसला ले पाएंगे। 
 अब ये तो हुई आपके गुस्से की बात लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई किसी और का गुस्सा आप पर उतार दे तो ऐसी स्थिति में गुस्सा आना स्वभाविक ही है पर मैं  सलाह दूंगी की ऐसी स्थिति में अपने गुस्से पर काबू पाना ही सबसे बेहतरीन उपाए है स्थितियों को सामान्य  बनाने का।  इसका एक फायदा और भी है कि अगर ऐसी स्थिति में आप सामने वाले को पलटकर जवाब दें तो बाद में जब उस व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होगा तो उसकी नज़रों में आपकी इज़्ज़त और बढ़ जाएगी और वह अपनी भूल से की गई भूल के लिए माफ़ी भी मांग लेगा। 

2. अनकहे शब्द 

कई जज़्बात ऐसे भी होते हैं जिन्हें बयान करने के लिए शब्दों  की ज़रूरत नहीं होती....... वो आपके हाव-भाव में, आपकी आँखों में,आपके बर्ताव से ही ज़ाहिर हो जाते हैं और सामने वाला व्यक्ति भी आपकी छुपी हुई भावनाओं को, आपके अनकहे शब्दों को आपके बिना कुछ कहे ही समझ जाता है। ....... ऐसा ही एक एहसास है प्यार , जिसमें लफ़्ज़ों से ज़्यादा आपकी ख़ामोशी बोलती है और इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है एक माँ का अपने नवजात बच्चे से प्यार …… जिसमें शब्दों  से नहीं स्पर्श से प्यार ज़ाहिर होता है.…… क्योंकि प्यार को लफ़्ज़ों से नहीं सिर्फ प्यार से ज़ाहिर किया का सकता है और ऐसे में कहे हुए लफ़्ज़ों से ज़्यादा अनकहे लफ़्ज़ों मायने होते हैं।इसलिए कभी अनकहे लफ़्ज़ों को भी मौका देकर देखिये। 

3. समाधान की राहें 

कभी-कभी बातों और हालातों को हम समझ ही नहीं पाते और शब्दों की अंधाधुन बौछार में हम इतने परेशान और नकारात्मक हो जाते हैं कि हमें अपनी ज़िन्दगी ही एक समस्या या बोझ लगने लगती है।  कभी अगर आपकी ज़िन्दगी में ऐसे हालत पैदा हों तो घबराने की बजाये कुछ देर के लिए  बातों की भीड़-भाड़ से आराम ले लें और कुछ वक्त खुद के साथ शांति से अकेले में बिताएं।  इससे आपका मन शांत हो जायेगा और  आप नकारात्मक हालातों में से भी सकारात्मक सोच ढुंढ पाने में सफल हो पाएंगे, हालातों को बेहतर समझ पायंगे, समस्या को सही ढंग से सिर्फ समझ पायंगे बल्कि सकारात्मक चित्त होकर समस्या का समाधान ढुंढने में भी सफल होंगें। 
 कभी आज़मा कर देखिये और लफ़्ज़ों के साथ-साथ ख़ामोशी से भी मित्रता करके देखिये, इससे सिर्फ आपको सम्मान मिलेगा बल्कि  आप ज़्यादा असरदार ढ़ंग से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाएंगे और हालातों को बद्द से बदत्तर करने की बजाए  हालातों को बद्द से बेहतर बनाने में सक्षम होंगे। ....... इसलिए जीवन में लफ़्ज़ों को थोड़ा आराम दें और ख़ामोशी को भी मौका दें ......



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